बाबा जी ओर हजूर जी ने पंडाल में संगत को दर्शन दिए।

आज बाबा जी ओर हजूर जी ने पंडाल में संगत को दर्शन दिए ओर दिवाली की शुभकामनाए दी। हजूर जी की डेरे में पहली दिवाली है तो इस बार संगत बहुत ज्यादा आई हुई थी। डेरे में सत्संग सुबह 9 बजे शुरू हुआ। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि बाबा जी कैसे दिवाली मनाते है ? एक बार बाबा जी से यही सवाल हुआ था। किसी ने सवाल किया था कि बाबा जी आपने तो मेरी हैप्पी दिवाली कर दी क्योंकि मैंने आपके दर्शन कर लिए पर आप कैसे दिवाली मनाओगे? बाबा जी ने कहा बेटा दिवाली का मकसद होता है प्रकाश ने अंधेरे के ऊपर जीत प्राप्त कर ली है।

क्योंकि यह जो त्यौहार मनाया जाता है यह अंधकार के ऊपर जीत प्राप्त करने का त्यौहार है जिसको प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। बाबा जी कहा कि बेटा स्वामी जी ने अपनी बाणी में लिखा है संत दिवाली नित करे। जो संत महात्मा होते हैं उनकी तो दिवाली रोज ही होती है। जिनको सत्पुरुष यानी, उस शब्द के दर्शन हो जाए वह तो रोज ही खुश रहते हैं रोज ही खुशियां मनाते हैं। इसीलिए जो असल दिवाली है वो तो हमारा जब अंदर से प्रकाश हो जाएगा अंदर से हमें धुन सुनाई दे जाएगी तो हमारा वो प्रकाश पर्व पूरा होगा। तो बाबा जी तो रोज ही डेरे में दिवाली मनाते हैं और हमें भी चाहिए कि हम भी रोज इसी प्रकार दिवाली मनाए। 

Posted by:- Harjit Singh