बाबा जी ने दिल्ली में सत्संग फरमाया।

कुछ दिन पहले बाबा जी का दिल्ली में सत्संग था। सत्संग में बहुत ज्यादा संगत आई हुई थी। जिसके कारण ट्रैफिक भी जाम हो गया। बाबा जी ने स्वामी जी महाराज की वाणी जग में घोर अंधेरा भारी पर सत्संग किया। सत्संग एक घंटे से ज्यादा लंबा था। इस सत्संग में हुजूर जी भी मौजूद थे। सत्संग में बाबा जी ने बड़े खोलकर समझाया। बाबा जी ने कहा कि ये स्वामी जी की वाणी है और ये चेतावनी का शब्द है। 

स्वामी जी महाराज ने चेतावनी में और प्रेम से समझाने की कोशिश की है। हमे परमार्थ के राह पर लाने की कोशिश की है। सत्संग में फरमाया गया कि स्वामी जी किस अंधकार की बात कर रहे हैं। हमारे बाहर तो प्रकाश ही प्रकाश है रोशनी ही रोशनी है। हमें सब कुछ दिखाई दे रहा है हमारे पास रोशनी के इतने साधन है सूरज है चांद है। फिर यहां पर स्वामी जी किस अंधकार की बात कर रहे हैं। 

वह अंधकार हमारे अंदर का अंधकार है। आप फरमाते हैं कि देखो आत्मा और परमात्मा इस तन के अंदर है पर फिर भी कभी आत्मा परमात्मा का मिलन नहीं हुआ। हम सब कुछ जानते हुए भी कि मालिक हमारे अंदर है फिर भी हम उसे बाहर ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। जो बाहर ढूंढता है वह भर्म में पड़ा हुआ है। वह दुविधा में पड़ा हुआ है उसे कुछ हासिल नहीं होगा। अगर आपकी कोई कीमती चीज जो घर में गुम हुई है। ओर उसे आप बाहर ढूंढना शुरू कर दो तो आपके ढूंढने से वह मिल नहीं जाएगी। जब तक हम उसको वहां नहीं ढूंढते जहां पर वह गुम हुई है। इसी प्रकार सेवा के ऊपर बाबा जी ने कहा कि हमारी सुरत शब्द की सेवा असल सेवा है। 

जो हम बाहरी सेवा करते हैं वह सेवा हमारा माहौल बना सकती है पर मुक्ति नहीं दिला सकती। फिर बाबा जी ने दर्शनों के बारे में फरमाया। बाबा जी ने कहा कि देखो हम यहां पर सभी दर्शन करने आए हैं पर हमें यह नहीं मालूम कि दर्शन किए नहीं जाते दिए जाते हैं। और जो असल दर्शन है वह भी हम अंदर से करेंगे। बाहर के दर्शन हमारा आकर्षण जरूर कर सकते हैं। इन सब चीजों से हमें ये समझना चाहिए ये जो दर्शन है उस मालिक को पाने का असल रास्ता है। मालिक को पाने के लिए अपने अंतर का सहारा लेना चाहिए।

Posted by:- Harjit Singh